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1st Bihar Published by: Updated Thu, 02 Dec 2021 09:06:36 AM IST
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PATNA : बिहार के नीतीश सरकार सूबे में करप्शन को लेकर डबल स्टैंडर्ड अपना रही है. सरकार की दोहरी नीति के खुलासे पर कल बिहार विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था. ग्रामीण कार्य विभाग के भ्रष्टाचारी इंजीनियर के ऊपर एक्शन नहीं लिए जाने के मामले में सदन के अंदर इतना बवाल हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कमेटी से जांच कराने का आदेश दे दिया. लेकिन खनन विभाग में अभी भी दागी अधिकारियों को सरकार गोद में बिठाए हुए है.
पिछले दिनों बिहार के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम के सरकारी आपके सचिव के ठिकानों पर निगरानी की स्पेशल यूनिट ने छापेमारी की थी. इस छापेमारी के बाद मंत्री ने सचिव मृत्युंजय कुमार को अपने साथ से हटा दिया और अब सरकार ने उसके निलंबन का आदेश भी जारी कर दिया है. सरकार ने मंत्री के पीए रहे बिहार प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मृत्युंजय कुमार को निलंबित कर दिया है. लेकिन खनन विभाग के अधिकारियों को अब तक गोद में बिठा कर रखा हुआ है.
जो 4 महीने पहले आर्थिक अपराध इकाई की जांच में दोषी पाए गए थे. सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट आने के बाद खनन एवं भूतत्व विभाग के इन अधिकारियों को फिर से वापस बुला लिया था. इन 5 अधिकारियों में से दो को निलंबित भी कर दिया गया. लेकिन तीन अधिकारी ऐसे हैं जो अभी भी सरकार के दुलारे बने हुए हैं. सरकार ने अधिकारियों को बालू खनन के लिए टेंडर का जिम्मा भी दे रखा है. फर्स्ट विहार ने 20 नवंबर को ही इससे जुड़ी खबर दिखाई थी लेकिन अब तक इन अधिकारियों के ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया गया.
फर्स्ट बिहार में जो खुलासा किया था उस मामले में मंत्री जनक राम ने भी हैरत जताया था. जनक राम ने कहा था कि उन्हें इस बाबत पर कोई जानकारी नहीं है. फर्स्ट बिहार ने अपनी इस एक्सक्लूसिव खबर पर बिहार के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम से बात की थी. मंत्री ने कहा था कि जिन पांच अधिकारियों को जुलाई में अवैध बालू खनन के आऱोप में हटाया गया था. उनके खिलाफ जांच चल रही है, अभी जांच रिपोर्ट नहीं आयी है. वैसे अधिकारियों को किसी पद पर तैनात नहीं किया जा सकता.
लेकिन वे अधिकारी बिहार राज्य खनिज निगम में कार्यरत हैं. खनिज निगम की एमडी खनन एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर हैं. उनके आदेश से ही वहां अधिकारियों की तैनाती की जाती है. मंत्री बोले कि उन्हें फर्स्ट बिहार के जरिये ही इस मामले का पता चल रहा है. प्रधान सचिव ने कोई जानकारी नहीं दी है. दागी अधिकारियों को तो सजा देना है उन्हें कैसे काम लिया जा रहा है इसका उनको पता नहीं. मंत्री ने कहा कि ये सरासर गलत है. फर्स्ट बिहार से इसकी जानकारी मिली है तो वे इस मामले की जांच करायेंगे.
बिहार सरकार के बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन ने चार-पांच दिन पहले राज्य के कई जिलों में बालू ठेकों के आवंटन के लिए टेंडर निकाला. सरकार की एजेंसी की ओऱ से टेंडर का जो दिलचस्प विज्ञापन निकाला गया. उसे देखकर विभाग के दूसरे अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं बल्कि बालू ठेके से जुडे तमाम लोग हैरान हैं. बालू ठेकों के टेंडर को बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के प्रशासनिक पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा के हस्ताक्षर से निकाला गया है. ये वही सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा हैं जो पहले पटना के खनिज विकास पदाधिकारी हुआ करते थे. अवैध बालू के खेल में ईओयू की जांच रिपोर्ट में उनकी संलिप्तता साबित होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटाया था. उन्हें निलंबित करने का एलान किया गया था. लेकिन सरकार ने सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा को पुरस्कृत कर दिया. दागी अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा अब बालू ठेके का टेंडर जारी कर रहे हैं.