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1st Bihar Published by: Updated Sun, 08 Mar 2020 04:05:29 PM IST
                    
                    
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DESK : पीएम नरेन्द्र मोदी के ट्वीटर अकाउंट से कानपुर की कलावती देवी ने स्वच्छता का बड़ा संदेश दिया है। 58 साल की कलावती अपने हाथों से 4000 से ज्यादा शौचालय बना चुकी हैं। कानपुर को खुले में शौच से मुक्त बनाने में कलावती ने अहम योगदान दिया है। उन्हें महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित भी किया है।
कलावती देवी ने पीएम मोदी के ट्वीटर अकाउंट से संदेश देते हुए लिखा है कि देश की बहन, बेटी और बहुओं को मेरा यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।इसलिए बाहर निकलिए। अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए।अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं।स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है।इसके लिए लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय जरूर लगा। लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा।मेरा अरमान पूरा हुआ, स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ। हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है।मैं जिस जगह पे रहती थी, वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया।आखिरकार सफलता हाथ लगी।
पेशे से राजमिस्त्री सीतापुर जिले की रहने वाली कलावती देवी की शादी महज 13 साल की उम्र में उनसे पांच साल बड़े युवक से हुई थी। शादी के बाद वह पति के साथ कानपुर में राजा का पुरवा में आकर बस गईं। कलावती कभी स्कूल भी नहीं गई। लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की ललक बचपन से थी। राजा का पुरवा गंदगी के ढेर पर बसा था। करीब 700 आबादी वाले इस पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था। सभी लोग खुले में शौच के लिए जाते थे।दो दशक पहले एक स्थानीय एनजीओ ने राजा का पुरवा में शौचालय निर्माण के लिए पहल शुरू की, जिससे कलावती जुड़ गईं। कलावती को राजमिस्त्री का काम आता था। इसलिए उन्होंने मोहल्ले का पहला सामुदायिक शौचालय बनाया।
कई बार के समझाने के बाद दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चलाने वाले लोगों ने पैसे का इंतजाम किया। इसके बाद चीजें व परिस्थितियां बदलने लगी। इसके बाद कलावती ने अपने हाथों से 50 से अधिक सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया। धीरे-धीरे यह काम कलावती के लिए जुनून बन गया। कलावती के पति की मौत हो चुकी है। बेटी और उसके दो बच्चे भी साथ रहते हैं। कारण दामाद की मौत हो चुकी है। तमाम तरह की दुश्वारियों के बाद भी कलावती ने समाज की बेहतरी के लिए शौचालय निर्माण कार्य जारी रखा। 58 साल की उम्र में कलावती 4000 से अधिक शौचालय बना चुकी हैं।