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Waqf amendment Bill : वक्फ बोर्ड संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी? जानिए कारण

Waqf amendment Bill : कल यानी 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल पेश किया जाएगा, जिसे लेकर देश की राजनीति में भारी गर्माहट है। यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है |

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 01 Apr 2025 07:09:17 PM IST

Waqf Amendment Bill

प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Waqf amendment Bill  : वक्फ (संशोधन) बिल कल यानि 2 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल पर काफी समय से चर्चा हो रही थी, और जैसे ही इसकी लोकसभा में पेश करने की तारीख सामने आई, देश के राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के लिए लाया जा रहा है, जबकि विपक्षी दल इसके विरोध में खड़े हैं।


केंद्र सरकार इस बिल को पारित कराने के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रही है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी सहयोगी दलों से इसका समर्थन मांगा है। इस पूरे मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की नजर नीतीश कुमार और नायडू की पार्टी पर है, और अब संसद के भीतर के नंबर गेम ने भी अहम मोड़ ले लिया है। ज्ञात हो कि भारत में वक्फ बोर्ड से जुड़े कानूनों में समय-समय पर बदलाव हुए हैं, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर महत्वपूर्ण रहे हैं। विशेष रूप से 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान वक्फ एक्ट में किए गए संशोधनों ने वक्फ बोर्ड को महत्वपूर्ण अधिकार दिए थे, हालाँकि कांग्रेस सरकार का मानना था कि सुधार के प्रयास के लिए किये गए थे | 


आजादी के बाद, वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद में पारित किया गया। इसके बाद, 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम लाया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में इसमें संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को संपत्तियों पर दावा करने की असीमित शक्तियां प्राप्त हो गईं। संशोधित अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया कि इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। सीधे शब्दों में कहें तो, वक्फ बोर्ड को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने का पूरा अधिकार मिल गया।


इसका सीधा अर्थ यह है कि एक धार्मिक संस्था को असीमित अधिकार दिए गए, जिससे किसी भी वादी को न्यायपालिका से न्याय पाने का अधिकार भी छीन लिया गया। लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक संगठन को ऐसी शक्तियां प्राप्त नहीं हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में उल्लेख है कि यदि वक्फ बोर्ड मानता है कि कोई भूमि किसी मुस्लिम की है, तो वह स्वचालित रूप से वक्फ संपत्ति मानी जाएगी। इसके लिए वक्फ को कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती कि वह भूमि उनके स्वामित्व में क्यों आती है। आपको बता दे कि मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दिल्ली की 123 प्रमुख संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंप दीं। 2022 में एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आप सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद से अब तक दिल्ली वक्फ बोर्ड को 101 करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक धनराशि प्रदान की है। सिर्फ 2021 में ही वक्फ बोर्ड को 62.57 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई।


अब एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर लगाम लगाने की योजना बना रही है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत, वक्फ संपत्तियों और उनके दावों का अनिवार्य वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसमें उन संपत्तियों की जांच भी शामिल होगी, जिन पर वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत मालिकों के बीच विवाद है। संशोधन की आवश्यकता को जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की संसदीय समिति की सिफारिशों से जोड़ा गया है। वर्तमान कानून के तहत सरकार वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, लेकिन नए संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्तियों को जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा, जिससे उनका मूल्यांकन और राजस्व जांच संभव हो सके। साथ ही, नया प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि केवल मुस्लिम समुदाय ही वक्फ संपत्तियां बना सके।


आश्चर्यजनक रूप से, मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ जैसी संस्था मौजूद नहीं है और न ही किसी धार्मिक संगठन को इतनी व्यापक शक्तियां प्राप्त हैं।ऐसा कहा जाता है कि  विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीनें वापस नहीं कीं। देशभर में इस कानून के दुरुपयोग से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई हैं। वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में लागू हुआ था, जिसे 1995 और फिर 2013 में संशोधित किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की निगरानी और उनके प्रशासन के लिए असीमित अधिकार दिए थे, जिनकी चुनौती किसी भी अदालत में नहीं की जा सकती थी। इससे बोर्ड को अपने फैसले सीधे लागू करने की स्वतंत्रता मिली थी। आपको बता दें कि वक्फ एक्ट में किए गए 2013 के संशोधन ने वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्तियों के प्रबंधन में पूरी स्वायत्तता दी थी। 


वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव कर महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। अब प्रत्येक राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो-दो महिला सदस्य शामिल होंगी। इस बदलाव का उद्देश्य वक्फ बोर्ड में महिलाओं की आवाज को प्रतिनिधित्व देना और निर्णय प्रक्रियाओं में विविधता लाना है। साथ ही, इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की कोशिश की गई है। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि ये संशोधन वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में कितना सुधार लाते हैं और आम जनता को इसका कितना वास्तविक लाभ मिलता है।