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PATNA POLICE : बिहार में फिर सामने आया अजीब मामला, IPS बनकर सरकारी दफ्तरों में धौंस जमा रहा था यह युवक, सामने आई सच्चाई तो हर कोई रह गया दंग

PATNA POLICE : जमुई के बाद पटना से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां भी एक युवक खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर न सिर्फ धौंस जमा रहा था, बल्कि सरकारी दफ्तरों में रौब झाड़कर काम भी निकलवा रहा था

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 08 Sep 2025 05:11:47 PM IST

PATNA POLICE

PATNA POLICE - फ़ोटो FILE PHOTO

PATNA POLICE : बिहार अक्सर अपने अनोखे और अजीबोगरीब कारनामों की वजह से सुर्खियों में बना रहता है। यहां कभी चूहे सरकारी गोदाम से शराब पी जाते हैं तो कभी बकरी फाइलें चट कर जाती है। इतना ही नहीं, कुछ साल पहले यहां महज कुछ लाख रुपये में आईपीएस बनाने की कहानी भी सामने आई थी। ऐसे में जब भी कोई नया मामला सामने आता है तो लोग चौंकते जरूर हैं, लेकिन हैरान होने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह सब बिहार में अक्सर घटित होता ही रहता है। अब एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने सभी को दंग कर दिया है।


शायद आपको याद हो कि बिहार के जमुई में एक बार मिथिलेश मांझी नाम का युवक खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर लोगों को बेवकूफ बनाता फिर रहा था। उसने पुलिस को बताया था कि मनोज सिंह नाम के शख्स ने उसे महज 2.30 लाख रुपये लेकर आईपीएस बना दिया और वर्दी के साथ पिस्तौल भी दे दिया। पहली नज़र में यह कहानी लोगों को सच लगी थी, लेकिन जैसे ही जमुई पुलिस ने मामले की गहन जांच की, तो सारा खेल उजागर हो गया। मिथिलेश की बातें झूठी निकलीं और वह खुद पुलिस के लिए एक बड़ी पहेली बन गया। यह वाकया उस समय काफी चर्चित हुआ था और सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक इसकी खूब चर्चा रही। लेकिन कुछ ही समय बाद मामला ठंडा पड़ गया।


अब जमुई के बाद पटना से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां भी एक युवक खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर न सिर्फ धौंस जमा रहा था, बल्कि सरकारी दफ्तरों में रौब झाड़कर काम भी निकलवा रहा था। हालांकि, इस बार पुलिस की सतर्कता ने उसे ज्यादा समय तक खुलेआम घूमने का मौका नहीं दिया और आखिरकार वह गिरफ्त में आ गया। मिली जानकारी के अनुसार, पटना पुलिस ने फुलवारीशरीफ थाना क्षेत्र से उस युवक को अरेस्ट किया है। 


आरोपी लंबे समय से खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर सरकारी अफसरों और कर्मचारियों पर दबाव बना रहा था। इतना ही नहीं, उसने खुद को असली दिखाने के लिए एक बड़ा खेल रचा था। उसने एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) स्तर के अधिकारी के नाम से एक फर्जी ईमेल आईडी बना ली थी और उस पर आईपीएस का लोगो भी चिपका दिया था। आरोपी युवक की एक्टिंग और बातचीत का तरीका इतना परिपक्व था कि सामने वाला उसे सचमुच का अफसर मान लेता था। सरकारी अधिकारी भी उसकी बातों में आ जाते और यही वजह थी कि वह लगातार सरकारी कामकाज में दखल देने लगा। 


लेकिन कहते हैं ना कि अपराध कितना भी बड़ा क्यों न हो, एक दिन उसका भंडाफोड़ जरूर होता है। कुछ ऐसा ही इस मामले में भी हुआ। जब आरोपी एक काम के सिलसिले में ज्यादा दखल देने लगा, तो एक कर्मचारी को उस पर शक हो गया। उसने तुरंत इस बारे में पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को जानकारी दी। इसके बाद मामले की गहन जांच शुरू हुई और सारा सच सामने आ गया। पुलिस की जांच में यह साफ हो गया कि आरोपी एडीजी स्तर के अफसर की फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर अधिकारियों और कर्मचारियों को गुमराह कर रहा था।


मामला गंभीर था, इसलिए पटना पुलिस ने तुरंत एक विशेष टीम का गठन किया। यह टीम आरोपी की तलाश में जुट गई और आखिरकार उसे पकड़ने में सफल रही। फुलवारीशरीफ थाना क्षेत्र में छापेमारी की गई और युवक को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल फोन और एक लैपटॉप बरामद किया। इन दोनों उपकरणों से उसने फर्जीवाड़े का पूरा जाल खड़ा किया था। जब पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो आरोपी ने अपने अपराध की बात स्वीकार कर ली। उसने यह भी माना कि वह लंबे समय से अधिकारियों को गुमराह कर रहा था।


इस मामले में फुलवारीशरीफ थाना कांड संख्या 1479/25 दर्ज किया गया है। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता-2023 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, उस पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 66(C) और 66(D) भी लगाई गई है। यह धाराएं विशेष रूप से साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में लागू होती हैं।


पटना पुलिस का कहना है कि फिलहाल आरोपी से लगातार पूछताछ की जा रही है। जांच इस बात पर केंद्रित है कि क्या उसके साथ और लोग भी जुड़े हुए हैं या यह अकेले ही काम कर रहा था। इसके अलावा, पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने अब तक कितने सरकारी दफ्तरों में दखल दिया और कितने लोगों से अपने झांसे में काम निकलवाया। 


पुलिस ने यह भी कहा है कि आरोपी के नेटवर्क की गहन जांच की जाएगी और उसके लैपटॉप व मोबाइल से सारे डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा किए जाएंगे। यह भी देखा जाएगा कि उसने फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए किया था या किसी और बड़े अपराध को अंजाम देने की भी योजना बना रखी थी।


यह पूरा मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि बिहार में इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं। कभी चूहे शराब पी जाने की खबर आती है, कभी बकरी फाइल खा जाती है और कभी कोई युवक खुद को आईपीएस बताकर लोगों को बेवकूफ बना देता है। यह न केवल प्रशासन के लिए एक चुनौती है, बल्कि आम जनता के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।


सरकारी सिस्टम में जहां कहीं भी लापरवाही या चूक होती है, वहां ऐसे फर्जी लोग आसानी से घुसपैठ कर जाते हैं। यही वजह है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क रहने की जरूरत है।पटना का यह ताजा मामला एक बार फिर सबक देता है कि हर व्यक्ति की पहचान की सही जांच होनी चाहिए, चाहे वह कितना भी रौबदार क्यों न दिखे। पुलिस की तत्परता और कार्रवाई से एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है, लेकिन जरूरी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाए जाएं।