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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 23 Jun 2025 11:06:36 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Iran-Israel: ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध ने पश्चिम एशिया में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, जिसका सीधा असर अब भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर पड़ भी सकता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का ईरान, इराक, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन जैसे पश्चिम एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार 41.8 अरब डॉलर (लगभग ₹3.55 लाख करोड़) रहा।
इस युद्ध के कारण होर्मुज़ जलडमरूमध्य और लाल सागर जैसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे भारत का यह विशाल व्यापार संकट में पड़ सकता है। ईरान की होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है, जिससे तेल की कीमतों में उछाल और भारत में महंगाई बढ़ने का जोखिम बढ़ गया है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा तरलीकृत प्राकृतिक गैस होर्मुज़ जलडमरूमध्य के रास्ते आयात करता है। इसके अलावा, रेड सी के बाब-एल-मंडेब मार्ग से भारत का लगभग 30% निर्यात यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और अमेरिका के पूर्वी तट की ओर जाता है। यदि इन मार्गों पर कोई रुकावट आती है, तो शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम में भारी वृद्धि होगी, जिससे आपूर्ति श्रृंखला बाधित होगी।
होर्मुज़ जलडमरूमध्य का लंबे समय तक बंद रहना खाड़ी क्षेत्र में सैन्य टकराव को बढ़ावा दे सकता है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से भारत जैसी ऊर्जा-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ेगा। युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में पहले ही तेजी देखी जा रही है। 13 जून 2025 को ब्रेंट क्रूड की कीमत 9% बढ़कर 75.65 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई, जो पांच महीनों में सबसे ऊंची दर थी।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि युद्ध लंबा खिंचा, तो कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, तेल की कीमत में प्रति 10 डॉलर की वृद्धि भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई को सालाना 35 बेसिस पॉइंट बढ़ा सकती है। इससे पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, खाद्य तेल, और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जो आम जनता की जेब पर भारी पड़ सकता है।
भारत सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और वैकल्पिक उपायों की तलाश कर रही है। रूस, ब्राजील और गुयाना जैसे देशों से तेल आयात बढ़ाकर आपूर्ति बाधा से बचने की कोशिश की जा रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत के पास पर्याप्त पेट्रोलियम भंडार हैं और फारस की खाड़ी के बाहर के स्रोतों से आयात पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, भारत के ईरान और इजरायल दोनों के साथ मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध हैं, जिससे इस संघर्ष में तटस्थ रहना चुनौतीपूर्ण है।
चाबाहार बंदरगाह परियोजना और इजरायल के साथ तकनीकी सहयोग भारत के रणनीतिक हितों का हिस्सा हैं। यदि युद्ध के कारण समुद्री मार्ग, बंदरगाह, या वित्तीय प्रणाली प्रभावित होती है, तो भारत का व्यापार प्रवाह और आर्थिक स्थिरता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।