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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 10 Jul 2025 07:42:24 AM IST
निमिषा प्रिया - फ़ोटो GOOGLE
Nimisha Priya: केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की राजधानी सना की जेल में 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। उन्हें वर्ष 2017 में यमन के नागरिक तालाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। इस मामले ने न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोरा है, बल्कि यह भारत और यमन के बीच कूटनीतिक व कानूनी स्तर पर भी एक जटिल चुनौती बन गया है।
निमिषा एक प्रशिक्षित नर्स हैं जो 2011 में काम के सिलसिले में यमन गईं। तीन वर्षों तक परिवार के साथ रहने के बाद 2014 में उनके पति और बेटी भारत लौट आए, जबकि निमिषा यमन में ही आर्थिक जिम्मेदारियों के चलते रहीं। बाद में उन्होंने यमन के नागरिक तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया, क्योंकि वहां विदेशी नागरिकों को स्थानीय साझेदार के बिना क्लिनिक खोलने की अनुमति नहीं होती। निमिषा ने आरोप लगाया कि महदी ने फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए शादी का दावा किया, और उसके बाद उनका यौन, मानसिक शोषण किया। साथ ही उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें कैद जैसा जीवन जीने को मजबूर किया।
2017 में, निमिषा ने कथित रूप से महदी को बेहोश करने के लिए दवा दी ताकि वह उसका पासपोर्ट लेकर भारत लौट सकें, लेकिन अधिक मात्रा में दवा देने से महदी की मौत हो गई। इसके बाद, स्थानीय महिला हनान की मदद से शव के टुकड़े कर उन्हें एक पानी की टंकी में फेंक दिया गया। यमन की अदालत ने 2020 में निमिषा को मृत्युदंड दिया और 2023 में हौती प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस फैसले को बरकरार रखा।
भारत सरकार इस संवेदनशील मामले में लगातार सक्रिय है। विदेश मंत्रालय यमन प्रशासन से बातचीत कर रहा है और मामले पर करीब से नजर रखे हुए है। ब्लड मनी (क्षतिपूर्ति राशि) के ज़रिए सजा को माफ कराने की कोशिश की गई, जो यमन के कानून के तहत संभव है, लेकिन वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। भारतीय दूतावास और अधिकारियों ने यमन के उच्चाधिकारियों से संपर्क बनाए रखा है। इस मामले में मानवाधिकार संगठनों और आम जनता ने भी भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
निमिषा की मां प्रेमकुमारी, बेटी को बचाने की आखिरी कोशिश के तहत यमन तक गईं। उन्होंने वहां अधिकारियों से मिलकर दया याचिका दी और बेटी की सजा माफ करने की अपील की। इस वक्त निमिषा सना की जेल में बंद हैं और 16 जुलाई की निर्धारित फांसी की तारीख को टालने या सजा को कम करने की आखिरी उम्मीदें देख रही हैं।
यह मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि न्याय और मानवीयता का भी है। भारत सरकार का कहना है कि वह हरसंभव प्रयास कर रही है ताकि निमिषा की जान बचाई जा सके। लेकिन वक्त तेजी से निकल रहा है। निमिषा प्रिया का मामला कई सवाल खड़ा करता है। नारी सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानून, कूटनीति और न्याय की परिभाषा पर। दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या भारत की कोशिशें यमन सरकार को फांसी टालने या माफ करने के लिए राज़ी कर पाएंगी।