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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 26 Jun 2025 07:42:48 AM IST
रूस-भारत-चीन - फ़ोटो Google
RIC: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय वार्ता को एक बार फिर से जल्द शुरू करने की उम्मीद जताई है। मॉस्को में 40 देशों के विशेषज्ञों की वार्षिक बैठक “प्रिमाकोव रीडिंग्स” में बोलते हुए लावरोव ने कहा है कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं, जिसके चलते RIC वार्ता फिर से शुरू हो सकती है। यह वार्ता 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य टकराव के बाद से स्थगित थी। लावरोव ने यह भी आरोप लगाया कि नाटो भारत को चीन विरोधी साजिशों में फंसाने की कोशिश कर रहा है।
RIC त्रिपक्षीय मंच की स्थापना 1990 के दशक में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी, जिसका मकसद पश्चिमी प्रभुत्व के खिलाफ एक रणनीतिक संतुलन बनाना था। इस मंच ने अब तक 20 से अधिक मंत्रिस्तरीय बैठकें की हैं, जिनमें विदेश मंत्रियों के साथ-साथ आर्थिक, व्यापार और वित्तीय एजेंसियों के प्रमुख शामिल रहे हैं। RIC का उद्देश्य तीनों देशों के बीच विदेश नीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। यह मंच ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे अन्य बहुपक्षीय समूहों के साथ भी जुड़ा है, जो वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर गैर-पश्चिमी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
लावरोव ने भारत और चीन के बीच हाल के सकारात्मक घटनाक्रमों का जिक्र किया है। अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को सुलझाने और आपसी रिश्तों को सामान्य करने पर जोर दिया था। इस मुलाकात के बाद दोनों देशों ने लद्दाख में दो विवादित बिंदुओं पर सैन्य वापसी और समन्वित गश्त बहाल करने का समझौता किया। लावरोव ने इसे RIC वार्ता को पुनर्जनन का आधार बताया और कहा कि यह मंच यूरेशिया में एक समावेशी और बहुध्रुवीय सुरक्षा ढांचा बनाने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।
लावरोव ने पश्चिमी देशों पर भारत को “चीन विरोधी साजिशों” में फंसाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा है कि भारत अपने रणनीतिक हितों को समझता है और नाटो की “उकसावे” वाली नीतियों को देख रहा है। रूस का मानना है कि RIC मंच भारत, चीन और रूस को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होकर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग करने का अवसर देता है।