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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 30 May 2025 01:51:04 PM IST
सुप्रीम कोर्ट जज की शपथ - फ़ोटो GOOGLE
Supreme Court Judges Appointment: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक औपचारिक समारोह में जस्टिस एन.वी. अंजारिया, जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस ए.एस. चांदुरकर को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। इन तीनों की नियुक्तियों के साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की अधिकतम स्वीकृत संख्या 34 पूरी हो गई है, जिसमें स्वयं मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं। यानी वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट में एक भी पद रिक्त नहीं है।
दरअसल, इन नियुक्तियों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम द्वारा 26 मई 2025 को हुई बैठक में की गई थी। इसके बाद 29 मई को केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से तीनों नामों को स्वीकृति प्रदान कर दी। यह नियुक्तियाँ पूर्व में सेवानिवृत्त हुए जजों जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस हृषिकेश रॉय, और जस्टिस ए.एस. ओका की रिक्तियों को भरने के लिए की गई हैं। गौरतलब है कि आगामी जून 2025 में जस्टिस एम. बेला त्रिवेदी भी सेवानिवृत्त होने वाली हैं, जिससे एक और सीट शीघ्र रिक्त होगी।
जस्टिस एनवी अंजारिया ने वर्ष 1988 में गुजरात हाई कोर्ट में वकील के रूप में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी। उन्हें 21 नवंबर 2011 को गुजरात हाई कोर्ट का अडिशनल जज नियुक्त किया गया, और फिर 6 सितंबर 2013 को स्थायी जज बना दिया गया। हाल ही में, 25 फरवरी 2024 को उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उनका संवैधानिक, सिविल और श्रम कानून से जुड़े मामलों में गहरा अनुभव रहा है और वे कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए जाने जाते हैं।
वहीं, जस्टिस विजय बिश्नोई ने अपनी वकालत की शुरुआत 8 जुलाई 1989 को की थी और वे राजस्थान हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। उन्हें 8 जनवरी 2013 को राजस्थान हाई कोर्ट में अडिशनल जज नियुक्त किया गया और 7 जनवरी 2015 को स्थायी जज बनाया गया। हालाँकि खबर में 5 फरवरी 2014 को गुवाहाटी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की बात कही गई है, जो तिथि में स्पष्टता की मांग करती है क्योंकि यह उनके स्थायी जज बनने से पूर्व की तारीख है। फिर भी, उनका आपराधिक, सिविल और लोकहित याचिका मामलों में उत्कृष्ट योगदान रहा है।
जस्टिस एएस चांदुरकर ने भी अपने वकील के रूप में कार्य की शुरुआत वर्ष 1988 में की थी। वे मूल रूप से मुंबई में प्रैक्टिस करते थे, लेकिन 1992 में नागपुर शिफ्ट हो गए। उन्हें 21 जून 2013 को बॉम्बे हाई कोर्ट का अडिशनल जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने सेंट विन्सेंट हाई स्कूल पुणे से स्कूली शिक्षा प्राप्त की, वाडिया कॉलेज से स्नातक किया और फिर ILS लॉ कॉलेज पुणे से कानून की पढ़ाई की। न्यायिक सेवा में उनके योगदान में भूमि अधिग्रहण, शिक्षा और प्रशासनिक कानून से जुड़े कई अहम फैसले शामिल हैं।
इन तीनों वरिष्ठ न्यायाधीशों की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट को विशेषज्ञता, अनुभव और विविध कानूनी क्षेत्रों में गहराई मिलेगी, जो संविधान और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह नियुक्तियाँ न्यायपालिका में संतुलन और दक्षता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।