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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Dec 2024 06:09:55 PM IST
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MUZAFFARPUR: (Bihar Politics) बिहार में कुछ दिनों पहले हुए विधानसभा की चार सीटों पर उप चुनाव के बाद सत्तारूढ़ एनडीए के सामने एक औऱ परीक्षा आई है. तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एमएलसी का उप चुनाव हो रहा है. इस चुनाव में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बड़ा दांव खेला है. तीन बाद वोटिंग होनी है और जो नजारा दिख रहा है उसमें बड़े उलटफेर के आसार दिख रहे हैं. तिरहुत स्नातक उप चुनाव में एक बार फिर प्रशांत किशोर ने लालटेन के तेल को निकाल दिया है. यही तेल उनकी पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार विनायक गौतम को बड़ी एनर्जी दे रहा है.
ऐसे निकला लालटेन का तेल
दरअसल प्रशांत किशोर बार-बार ये कहते रहे हैं कि आरजेडी के लालटेन का तेल मुसलमान वोटर है. वे तेल को लालटेन से बाहर निकाल चुके हैं. कुछ दिनों पहले विधानसभा के उप चुनाव में प्रशांत किशोर ने अपनी बात को साबित करके भी दिखाया. इमामगंज से लेकर बेलागंज में उनके कैंडिडेट को अच्छा खासा वोट आया. मुसलमानों के बड़े तबके ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के लिए वोट कर दिया था.
फिलहाल तिरहुत स्नातक क्षेत्र में हो रहे विधान परिषद उप चुनाव में प्रशांत किशोर ने यहीं दांव चला है. मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर जिले के स्नातक मतदाता इस चुनाव में वोटर हैं. इसमें मुसलमानों की तादाद अच्छी खासी है. जानकार बताते हैं कि प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज की पूरी टीम चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही मुसलमान वोटरों को साधने में लग गयी थी. इसका असर दिखने लगा है.
सारण के चुनाव का असर
दरअसल, तिरहुत स्नातक क्षेत्र के मुसलमान वोटरों पर 2023 के एक विधान परिषद उप चुनाव का सबसे ज्याद असर पड़ा है. जन सुराज पार्टी के नेताओं ने तिरहुत के स्नातक वोटरों को 2023 में हुए विधान परिषद के चुनाव का उदाहरण दे रहे हैं. 2023 में सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनाव हुए थे. प्रशांत किशोर ने पहली दफे इसी चुनाव में दावेदारी की थी और मुसलमान कैंडिडेट आफाक अहमद को मैदान में उतारा था. इस उप चुनाव में आफाक अहमद ने एनडीए और आरजेडी दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की थी.
तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उप चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी की मुहिम में सारण से एमएलसी आफाक अहमद ने मजबूती से कमान थाम रखी है. वे लगातार मुसलमान वोटरों के पास जाकर ये बता रहे हैं कि प्रशांत किशोर ने सबसे पहला मौका मुस्लिम को ही दिया था. इसलिए मुसलमानों के लिए वो वक्त आ गया है कि वे इसका कर्ज उतार दें. जानकार बता रहे हैं कि आफाक अहमद की अपील का असर हुआ है.
5 दिसंबर को होगा तिरहुत स्नातक चुनाव
दरअसल तिरहुत स्नातक क्षेत्र से जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर एमएलसी हुआ करते थे. पिछले लोकसभा चुनाव में वे सांसद चुन लिये गये. इसके बाद खाली पड़ी एमएलसी सीट पर उप चुनाव हो रहा है. 5 दिसंबर को इस सीट पर वोटिंग होनी है. चार जिलों यानि मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली और शिवहर के स्नातक वोटर एमएलसी को चुनने के लिए वोट डालेंगे. कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. इनमें एनडीए की ओर से जेडीयू के अभिषेक झा और महागठबंधन की ओर से आरजेडी के गोपी किशन के साथ-साथ प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी विनायक गौतम भी मैदान में है.
प्रशांत किशोर की मजबूत दावेदारी
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने तिरहुत स्नातक के लिए अपनी पार्टी से विनायक गौतम को प्रत्याशी बनाया है. विनायक गौतम वैसे तो पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन उनकी मजबूत पारिवारिक राजनीतिक विरासत रही है. विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह तिरहुत स्नातक क्षेत्र से कई दफे एमएलसी रह चुके हैं. उनके नाना स्व. रघुनाथ पांडेय अपने दौर में मुजफ्फरपुर और आस-पास के जिलों के सबसे कद्दावर राजनेता माने जाते थे. तिरहुत स्नातक क्षेत्र में कमजोर पहचान वाले जेडीयू और आरजेडी के उम्मीदवार के सामने मजबूत पहचान वाले विनायक गौतम ज्यादा दमदार माने जा रहे हैं.
प्रशांत किशोर का असर
दरअसल, तिरहुत स्नातक क्षेत्र में जो चार जिले आते हैं, वहां प्रशांत किशोर का अपना भी प्रभाव है. ये वो जिले हैं, जहां प्रशांत किशोर पदयात्रा कर चुके हैं. जन सुराज के नेताओं के मुताबिक बिहार में जिन चार सीटों पर विधानसभा उप चुनाव हुआ था वे वैसे इलाके थे जहां प्रशांत किशोर ने पदयात्रा नहीं की है. इसके बावजूद जनसुराज के प्रत्याशी को इमामगंज में 37 हजार तो बेलागंज में करीब 20 हजार वोट आये. तिरहुत का इलाका तो वैसा इलाका है, जहां प्रशांत किशोर हर गांव की खाक छान चुके हैं. लिहाजा इस चुनाव पर प्रशांत किशोर का असर दिखेगा.
तिरहुत में कैंप कर रहे हैं प्रशांत किशोर
तिरहुत स्नातक चुनाव में अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए प्रशांत किशोर पूरी तैयारी के साथ डटे हुए हैं. वे न सिर्फ वहां कैंप कर रहे हैं बल्कि सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को शिक्षकों का सबसे बडा दुश्मन करार दिया है. उन्होंने कहा है कि हम 2 वर्ष से पैदल चल रहे हैं, जितने भी शिक्षक हमसे मिले हैं, उसने अपनी गुहार यही लगाई है कि 10 वर्ष में अगर सबसे ज्यादा किसी ने शिक्षकों को सताया है तो वह नीतीश कुमार की सरकार है. अब क्या चुनाव में शिक्षक अपनी दुर्दशा भूल जाएंगे. डाकबंगला पर उन पर लाठी चली थी, वह भूल जाएंगे.
समीकरण भी पक्ष में
तिरहुत स्नातक क्षेत्र में प्रशांत किशोर के पक्ष में कई तथ्य जुड़ गये हैं. चार जिलों वाले इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जिला मुजफ्फरपुर है. जन सुराज के प्रत्याशी मुजफ्फरपुर के निवासी हैं. दूसरी ओर जेडीयू के प्रत्याशी इस क्षेत्र के किसी जिले के निवासी नहीं हैं. तिरहुत क्षेत्र में स्नातकों के सबसे ज्यादा वोट जिस जाति के हैं, प्रशांत किशोर के उम्मीदवार उसी जाति से आते हैं. स्थानीय जानकार मानते हैं कि प्रशांत किशोर कम से कम 40 से 50 हजार वोट अपने साथ लेकर मैदान में उतरे हैं. उसके बाद वे जितना ज्यादा वोट अपने साथ जोड़ सकें, जीत की संभावना उतनी ज्यादा हो जायेगी.
हालांकि इस चुनाव में आरजेडी से गोपी किशन भी मैदान में हैं. वहीं, चिराग पासवान की लोक जन शक्ति पार्टि रामविलास के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश रोशन भी चुनाव मैदान में हैं, वे पार्टी से इस्तीफा देकर मैदान में उतरे हैं. लेकिन स्नातक क्षेत्र का चुनाव आम चुनाव से अलग होता है. ऐसे चुनाव में प्रत्याशी को हर वोटर तक पहुंचना होता है. तिरहुत स्नातक क्षेत्र में एनडीए और आरजेडी दोनों के प्रत्याशी कहीं न कहीं इसमें कमजोर दिख रहे हैं. खास बात ये भी है कि पार्टी या गठबंधन का संगठन उनके साथ ख़ड़ा नहीं दिख रहा है. लिहाजा उनकी राह और मुश्किल हो गयी है.