ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बीएन कॉलेज में बमबाजी में घायल छात्र की मौत, पटना में छात्रों ने अशोक राजपथ को किया जाम Gopal Mandal :घायल सांसद अजय मंडल से मिलने पहुंचे गोपाल मंडल, बोले- “सच में पैर टूट गया या सम्मेलन कर रहे हैं ?” 10th Board Result 2025: मुझे तो लगा था बेटा फेल हो जाएगा लेकिन... 35 % मार्क्स लाने पर परिवार के लोगों ने ऐसे किया सेलिब्रेट Bihar Crime News: किराना कारोबारी की हत्या से सनसनी, बदमाशों ने गला रेतकर मौत के घाट उतारा Bihar Crime News: किराना कारोबारी की हत्या से सनसनी, बदमाशों ने गला रेतकर मौत के घाट उतारा Bihar Crime News: बिहार पुलिस का बड़ा एक्शन, कार से एक करोड़ का ब्राउन शुगर जब्त; चार तस्कर अरेस्ट Rahul Gandhi in darbhanga :दरभंगा में छात्रों और कांग्रेस का आक्रोश, प्रशासन के खिलाफ हंगामा Bihar Crime News: युवक को पेड़ से लटकाकर दी तालिबानी सजा, मांगता रहा जान की भीख और तमाशा देखते रहे गाँव वाले Srijan Scam Bihar: सृजन घोटाले में पटना हाईकोर्ट ने CBI को क्यों लगाई फटकार? अब नहीं चलेगी लापरवाही – जवाब नहीं दिया तो देना होगा जुर्माना। पूरी खबर पढ़ें। India Pakistan: 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने खोली पाकिस्तान में हुई तबाही की पोल, आतंकियों से माफ़ी मांगते फिर रहे वहां के मंत्री

अब तो नींद से जागिए मुख्यमंत्री जी, 52 शिक्षकों की हो गई हड़ताल के दौरान मौत

1st Bihar Published by: Updated Fri, 17 Apr 2020 03:21:06 PM IST

अब तो नींद से जागिए मुख्यमंत्री जी, 52 शिक्षकों की हो गई हड़ताल के दौरान मौत

- फ़ोटो

PATNA: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी,अब तो जागिए। आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी नींद टूटेगी । राज्य में वैश्विक महामारी कोरोना की तुलना में कहीं अधिक तथा  शिक्षक आंदोलन इतिहास की अब तक का सबसे बड़ी त्रासदी है। दूसरी तरफ शिक्षा मंत्री लगातार मीडिया में बयानवीर बने हैं और शिक्षकों को ही मानवता का पाठ पढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ये हड़ताली शिक्षक पहले से ही सरकार के नियोजनवाद के दंश को झेल रहे थे तथा अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत लोकतांत्रिक तरीके से अपनी वाजिब मांगों को लेकर 25 फरवरी से हड़ताल पर हैं। मगर अपने को सुशासन की सरकार बताने वाली यह सरकार असंवैधानिक रूप से लगातार अल्प वेतनभोगी हड़ताली शिक्षकों का कार्य अवधि का भी वेतन बंद कर दमनात्मक कार्रवाई करती रही। लगातार प्रताड़ना के कारण अधिकांश शिक्षक हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज तथा पैसे के अभाव में इलाज न कराने के कारण असमय काल के गाल में समा गए। यदि इन शिक्षकों के परिवार की मृत्यु की संख्या को जोड़ी जाए तो यह बहुत बड़ी संख्या होगी।


उन्होंने कहा कि हड़ताल के पूर्व बिहार के सीएम नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री के साथ ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया था लेकिन किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई तो विवश होकर संघ को हड़ताल पर जाना पड़ा।

उन्होंने कहा कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और कोरोना संकट के कारण लॉक डाउन का प्रभाव पड़ा। सरकार ने कोई वार्ता नहीं की। सिर्फ समाचार पत्रों में सरकार का बयान आता रहा कि नैतिकता के आधार पर हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए, कहा कि सरकार संकट के बाद देखेगी। लेकिन ना अपने बयान में और ना अपील में शिक्षा मंत्री ने माननीय दृष्टिकोण से विपरीत एक बार भी दंडात्मक कार्यवाही खेल रहे शिक्षकों पर कोई संवेदना नहीं दिखाई। विडंबना है कि सरकार ने 2015 से प्राथमिक और माध्यमिक नियोजित शिक्षकों को नियत वेतन से एक वेतनमान जो चपरासी से भी कम था देना स्वीकार किया। 

उन्होंने कहा कि बयानवीर शिक्षा मंत्री इस बात पर ध्यान क्यों नहीं देते कि 2015 में जब सरकार ने कबूल किया कि 3 महीने के अंदर नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली बनाकर लागू कर देंगे तो आज 5 वर्षों के बाद भी सेवा शर्त नियमावली क्यों नहीं बन पाई। ऊपर से बड़ी बेशर्मी के साथ अपने अपील में यह भी कहते हैं कि सरकार नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त पर संवेदनशील रही है।यदि सेवा शर्त नियमावली लागू हो गई रहती तो नियोजित शिक्षकों का अपना भविष्य दिखाई पड़ता कि वह कहां खड़े हैं।

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा 14 वर्षों में बहुत सारे नियोजित शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं और लगातार सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं लेकिन यह उन्हें अपना भविष्य पूरी तरह से अंधकार में दिख रहा है। राज्य में 6 हजार माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय है और उनमें सिर्फ लगभग 90 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक हैं। नीति आयोग ने भी इसकी चर्चा की है।


उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़े पैमाने पर महिला शिक्षकों की बहाली की है मगर सेवा सर्च नियमावली नहीं बनने के कारण आज वे अल्प वेतनभोगी शिक्षिकाएं अपने परिवार से दूर रहने को विवश हैं तथा उनका पारिवारिक जीवन भी  बर्बाद हो रहा है। 14 वर्ष कम नहीं होता है। कोई काम और वादा दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है। ना तो सदन के अंदर माननीय शिक्षा मंत्री जी ने सेवा शर्त नियमावली के बारे में कोई स्पष्ट आश्वासन दिया है और ना ही मीडिया में।

उन्होंने कहा कि इसी तरीके से शिक्षा विभाग ने 2017 में कबूल किया था कि स्कूलों को पंचायती राज से अलग करेंगे। उस पर भी सरकार ने कोई काम नहीं किया। लॉन्ग टर्म प्लान जैसे-तैसे पड़ा है। सरकार ने शिक्षक जैसे प्रतिष्ठित शब्द के आगे नियोजित लगाकर उन्हें हीन भावना से ग्रसित होने को मजबूर कर दिया। शिक्षक के पद प्रतिष्ठा को कलंकित करने का काम भी हुआ। माननीय उच्च न्यायालय ने नियोजित शिक्षकों को भविष्य निधि लागू करने की बात कही है। इस संबंध में सरकार स्पष्ट उल्लेख नहीं कर रही।सरकार मीडिया के माध्यम से बयान दे रही है कि शिक्षक मानवीय आधार पर हड़ताल से वापस आ जाएं। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों को सम्मान देना नहीं चाहते हैं। दंडात्मक कार्रवाई भी वापस लेना नहीं चाहते हैं। सेवा शर्त  भी लागू करना नहीं चाहते हैं। वेतन विसंगति भी दूर करना नहीं चाहते हैं। भविष्य निधि भी देना नहीं चाहते हैं? आखिर शिक्षक जाएं तो कहां जाएं। मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं इन सवालों पर गंभीरता पूर्वक विचार करें।